इसमें शब्दों, अक्षरों की बाजीगरी थी इसमें शब्दों, अक्षरों की बाजीगरी थी
प्रिया उठ के परी को साथ लेकर मार्केट चल दी आखिर शॉपिंग से ही अब मूड ठीक होगा न। प्रिया उठ के परी को साथ लेकर मार्केट चल दी आखिर शॉपिंग से ही अब मूड ठीक होगा न।
जब प्रकृति रूष्ट होगी। तब विनाश लीला के ताण्डव का शिकार तू ही होगा।" जब प्रकृति रूष्ट होगी। तब विनाश लीला के ताण्डव का शिकार तू ही होगा।"
माँ इतनी अच्छी क्यों होती है? माँ इतनी अच्छी क्यों होती है?
जंगल तो मेरा दोस्त है। बल्कि हर आदमी का दोस्त है। कैसे राक्षस हैं वे लोग जो जंगलों को काट कर तबाह कर... जंगल तो मेरा दोस्त है। बल्कि हर आदमी का दोस्त है। कैसे राक्षस हैं वे लोग जो जंगल...
"माँ! माँ! चलते समय मेंढक क्या सोचता है?"……… "माँ! माँ! चलते समय मेंढक क्या सोचता है?"………